हनुमान जयंती कविता23-Apr-2024
हनुमान जयंती और जन्मोत्सव
साकार स्वरूप श्री राम प्रेम के, सदा जग कल्याण में लीन। कार्तिक ,शुक्ल की पूर्णिमा को, राम भक्त ने दर्शन दीन्ह।
अपने नि:स्वार्थ प्रेम से , रघुवर को भी ऋणी किए। शौर्य ,पराक्रम अतुलनीय है, अंजना के घर जन्म लिए।
मूर्ति साक्षात् हैं ये पौरूष के, गदगद कंठ से सुमिरें नाम। इनको जो भी हिय से सुमिरे, बन जाए सब बिगड़े काम।
स्वयं आमानी रहे सदा ये, दूजे को सदा मान दिए। जग पूजे इस ब्रह्मचारी को, आज के दिन दूजा जन्म लिए।
संकट मोचन, बजरंगबली का, जन्मोत्सव आज है देश मनाए। भगवान शिव का रूद्रावतार रूप , कलयुग के हैं देव कहाए।
शिव के हैं ग्यारहवें अवतार, जन्म मान्यता को जाने संसार। कोई कहे चैत्र ,शुक्ल पूर्णिमा , कोई कार्तिक ,कृष्ण, चतुर्दशी यार।
कार्तिक मने हनुमान जयंती, जन्मोत्सव मने है चैत्र । भ्रम की स्थिति हो गई पैदा, दोनों में ना कोई मैत्र।
बाल्मीकि रामायण की मानें, कार्तिक माह में ये थे जन्में। पक्ष कृष्ण ,तिथि चतुर्दशी थी, विद्या, कला प्रभावित स्वाति नक्षत्र में।
विजय दिवस, प्राक्ट्य पर्व के, नाम से यह दिन जग में चर्चित। सात्विक साधना परोपकार का , समुज्ज्वल जीवन है वंदित।
हिंदू पंचांग की बात करें यदि, चैत्र, शुक्ल ,पूर्णिमा जन्मे हनुमान । जन्मोत्सव मनाएँ भक्त जन, यह रहस्य सभी लो जान।
जन्मोत्सव की कथा आज, हम चलो तुम्हें बतलाएँ। शिव के ग्यारह अवतार लिए, और अष्ट सिद्धियाॅं पाए।
नवो- निधियांँ लिन्हे जब हनुमत, हो गए वो अपार बलशाली। छोटे बालक को भूख लगी जब , आदित्य को निगले कपि हाली।
राहु भी रवि ग्रास करन को, ताक लगाए तब बैठा था । पवन पुत्र को देखकर ऐसे, र्देवेंद्र दरबार तुरत पैठा था।
सुरेंद्र राहु वचन सुने जब, क्रोधाग्नि में जलने लगे तब। हनुमत प्रहार देने की खातिर, अमरपति अब बन गए सातिर।
तिथि थी उस दिन बड़ी ही पावन, चैत्र ,शुक्ल , पूर्णिमा मनभावन। हनुमत को जीवन दान मिला, हनुमान जन्मोत्सव तभी खिला।
पुरंदर किए वज्र प्रहार, जिसने उनकी हनु दिया फार उनकी हनु हुई छत व विछत, इस बात से जग होवे अवगत।
श्री अंजनी नंदन को आओ, कर जोरकर करें प्रणाम l जिनकी अनुकंपा,सत्प्रेरणा से, पूरन होवें सब जन के काम।
मेरे टूटे-फूटे छंद ये कपिवर, आपके चरणों में हों समर्पित। परम कृपालु ,बजरंगी भक्तों, वर दे देंगे सबको मनवांछित।
मैंअगम,अगोचर,अकिंचन प्रभु, इस छंद को पत्र ,पुष्प ,फल समझें, यदि स्वीकार्य यह हो जाए , दुख ,व्यवधान में ना उलझें।
Mohammed urooj khan
25-Apr-2024 11:49 PM
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